Wednesday 4 June, 2008

जन्मकुंडली एक पर भविष्य अलग-अलग क्यों ?



ज्योतिषियों के सामने प्राय: ऐसा प्रश्न बार-बार आता है की एक ही शहर मेंएक ही समय पैदा हुए बालकों का भविष्य प्राय: अलग -अलग क्यों होता है !उनका भविष्य एक ही होना चाहिऐ क्योंकि उनकी जन्मकुंडली एक जैसी बनती हैऔर ग्रह का प्रभाव भी एक जैसा है तो यह अंतर क्यों ? ऐसी जिज्ञासा होनास्वाभाविक भी है !ऐसा होना भी चाहिए परन्तु नही होता है क्यों ? मेरा ऐसामानना है की किसी भी व्यकित के भविष्य निर्धारण में निम्न तथ्यविशेषभूमिका निभाते हैं ..............१ पूर्व जन्म के कर्म --हमारी संस्क्र्ती पुनर्जन्म को मानती है !हम ऐसामानते हैं की व्यक्ति जन्म लेता है और आयु पूर्ण होने पर मर जाता है वहपुन: जन्म लेता है और फिर मर जाता है ! प्रकर्ति में यह नियम चलता रहताहै !उस व्यक्ति द्वारा किए गएशुभाशुभ कर्मों का फल उस व्यक्ति को भोगनापड़ता है और इसी के अनुसार वह सुख -दुख का अनुभव करता है !यदि व्यक्ति कीआयु लम्बी है तो वह इसी जन्म में यह पा लेता है और कभी-कभी अगले जन्म मेंपाता है !इसी कारणऐसा देखा जाता है किएक ही माता -पिता से जन्म लेने वालेदो भाइयों के लालन -पालन में भी अंतर होता है !पहले बालक के जन्म समयमाता -पिता अभावों में रहते हैं और दुसरे बालक के जन्म समय तक वे सम्पन्नहो जाते हैं ,क्यों ? इस जन्म में पहले बालक ने तो क्या बुरा किया औरदुसरे बालक ने क्या अच्छा किया जो यह अंतर हुआ ? जरुर कोई कारण है जिसनेयह अंतर किया ! में समझता हूँ कि यह पूर्व जन्म के कर्मों का ही फल है !२ गर्भ समय माता के विचार -आचरण का प्रभाव -किसी भी व्यक्ति के भविष्यनिर्धारण में जब वह माता के गर्भ मेंथा ,उस समय माता के आचार -विचार काउस पर बहुत प्रभाव पड़ता है !माता क्या सोचती है ,किस वातावरण में रहतीहै इन सब बातों का बालक पर प्रभाव पड़ता है !अभिमन्यु का चक्र वेधन माताके गर्भ में सीखना इस बात का प्रमुख उदाहरण है !इसी प्रकार जब हम परिवारके रोते बालक को गोद में लेते हैं तो वह चुप हो जाता है जबकि दूसरा लेताहै तो वह रोता रहता है !क्योंकि वह बालक जब गर्भ में था उस समय से वहहमारी आवाज सुन रहा है और अपने को परिचित में मानता है !३ जन्म समय ग्रह प्रभाव - बालक जब जन्म लेता है कोई ग्रह किस अवस्था मेंहै इस बात का भी उस पर प्रभाव पड़ता है !ग्रह के उच्च ,नीच अस्त आदि काबालक पर प्रभाव पड़ता है !अपनी अवस्था के अनुसार ही ग्रह बालक को अपनेतत्वों से लाभ देता है या वंचित कर देता है !इन ग्रह प्रभावों से ही बालकका आचरण ,स्वभाव ,कार्यशैली बनती है !४ वास्तु प्रभाव उक्त बातों के अलावा बालक पर समाज ,वातावरण एवम भोगोलिकप्रभाव भी पड़ता है ! इसे ही वास्तु प्रभाव कहते हैं !उच्च परिवार कासंस्कारवान बालक के ख़राब वातावरण में रहने पर उसके बिगड़ जाने के अवस्र्बं जाते हैं !


WRITTEN BY

astrologer rakesh

No comments: