Monday 26 May, 2008

by astrologer rakesh

समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कभी नहीं मिलता , अक्सर लोगों की ऐसीधारणा है पर शायद उन्हें यह पता नहीं है कि भाग्य है क्या ?मेरे विचारसे" भाग्य अपने द्वारा किए गए कर्म एवम पुरुषार्थ का प्रतिफल है !कर्म केबिना भाग्य कि कल्पना नहीं कि जा सकती है ! हमारी संस्क्र्ती पुनर्जन्मको मानती है और किए गए कर्मों का फल इस जन्म में या अगले जन्म में भोगनापड़ता है !जिस प्रकार किसी गेंद को किसी दीवार पर फ़ेंक कर मारा जाए तो वहफेंकने वाले के पास वापस आती है उसी प्रकार व्यकित द्वारा किए गए कर्म काप्रतिफल भी उसे वापस प्राप्त होता है !यदि वह व्यकित वहाँ उपस्तिथ रहताहै तो उसे वह फल तुरंत उसी जन्म में मिल जाता है और यदि उसकी आयु पूर्णहो गयी हो तो वह फल संचित हो जाता है और उस समय तक सुप्त रहता है जब तकवह व्यकित पुन जन्म नही ले लेता !जैसे ही वह जन्म लेता है उसके द्वाराकिए गए शुभाशुभ कर्म के अनुसार फल मिलना शुरू हो जाता है! यदि ऐसा नहींहोता तो एक ही माता-पिता से जन्म लेने वाले भाई -बहिनों का भाग्य अलग-अलगनहीं होता !ऐसा प्राय देखा जाता है कि पहले बच्चे के जन्म के समय माता-पिता का आर्थिक पक्ष कमजोर होता है और वह बालक अभावों में पलता है जबकिउसी परिवार में जब दूसरा बालक पैदा होता है तो उसे सर्व सुविधा मिल जातीहै !क्यों ? पहले बालक ने तो इस जन्म में क्या बुरा किया और दुसरे बालकने क्या अच्छा किया जो उनको ऐसा अंतर देखने को मिला!यह अवश्य उनके पूर्वजन्म के किए गए कर्मों का फल था जो इस जन्म में भाग्य बन कर मिला !भाग्यएवम कर्म एक प्रकार से दो कदम हैं जिनमें भाग्य का कदम आगे निकल जाता हैतो फल तुरंत प्राप्त हो जाता है और कर्म का कदम आगे निकल जाता है औरभाग्य का पीछे रह जाता है तो भरपूर मेहनत के बाद भी प्राप्ति नहीं पातीहै ! कर्म ही जीवन है ! हम अपने भाग्य के निर्माता खुद हो कर" समय सेपहले एवम भाग्य से ज्यादा नहीं मिलता कि उकित को नकार सकते है !भाग्यवादीन होकर कर्मावादी बने एवम भविष्य अपनी मुट्ठी में कर लें !

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