Friday 4 July, 2008

बर्फानी बाबा अमरनाथ




बर्फानी बाबा अमरनाथ


बर्फानी बाबा देख तेरी धरा पर कया हो रहा है ।
आज तो तेरे दर्शन का भी टोटा हो रहा है ॥


तेरा नाम लेके सवाली करते हैं तेरे धाम की यात्रा ।
तेरा नाम रटते हमारी पूरी होती है जीवन यात्रा ॥


काश्मीर का भविष्य है तेरी यात्रा ।
लाखों जिन्दगी का पालन करती है ये यात्रा ॥


सदिओं से आते हैं सवाली तेरे दर पे मत्था टेकने ।
अमरता का वरदान पाने आत्मा शीतल करने ॥


गरीबों को झोंक दिया आतंक की आग में ।
यात्रा को भी सवाली बना दिया सियास्तबाज ने ॥


अरबों रुपया पाते है काश्मीरी तेरे नाम पे ।
फिर भी दिखाते हैं दादागिरी धर्म के नाम पे ॥


भोले बाबा , क्या तू भी विदेशी होने जा रहा है ?
या तेरा कहर इन पर टूटने जा रहा है


पुकारते हैं हम सिरफिरों को बुद्धि प्रदान कर ।
अपने भक्तों का मार्ग खोल, दर्शन दे, मुरादे पूरी कर ॥


काश्मीर की आग पुरे देश में फैलने जा रही है ।
'गुलाम'सरकार बचे या ना बचे जनता पिसने जा रही है ॥


जागो देश वासियो इस षड्यंत्र को पहिचानो ।
३७० अभिशाप असर ला रहा है देखो और जानो ॥


बालटाल के ४० हेक्टर ने आज सवाल उठाया है ।
सैकडो हजघर और हाजी सेवा खर्च पर आज फिर ध्यान आया है ॥


भारतवासियों ........सोचो जानो पहिचानो
............विदेशी षड्यंत्र से सावधान हो, मेरी राय मानो


मुफ्ती फारुख और पाकिस्तानी हुकुमरानों ।
काश्मीरी हो, देश के सिरमौर बर्फानी के कहर को मानो ॥


मत जलाओ काश्मीर को तुम भी नहीं बच पाओगे ।
भूल गए कबायली हमला, जो तुम कुछ,पाकिस्तान जा के, पाओगे


बर्फानी बाबा उठ जाग तेरा देश जल रहा है ।
खोल समाधि देख, सवाली, तेरे दर पे आने से डर रहा है ॥


देशवासिओं, सुनो बाबा की हुँकार ।
कमर कसो, आतंकियों से मुकाबिले को, हो जाओ तयार ॥


गुलाम- मुफ्ती -फारुख- की चलने देंगे नही ।
बर्फानी की इज्ज़त कम होने देंगे नही ॥


Written by
"Dr।MITTAL SK"

Sunday 22 June, 2008

जयपुर का नर संहार


जयपुर का नर संहार
होशियार नफरत के सौदागरों खबरदार,
मत तोड़ हमारे सब्र का इंतज़ार।
हमने विश्व को मानवता का सन्देश दीया,
पंचशील और सद्भावना को माना और जिया।
मजहबों से परे जा हर कौम को आदर दिया,
इस देश में हर धर्म और मजहब ने प्यार अमन को जिया।
कुर्बानी का जज्बा हर वतनी के दिल में है,
तू संसद पर आये या जयपुर में जाये,स्वागत को तेरे हम एक हैं।
भूल गया तू पिटाई कारगिल के संग्राम की,
संसद में तेरी मौत की, जम्मू में तेरी मौत के तूफ़ान की।
इस मुल्क का बाल भी बिगड़ता नहीं जब तक मुल्क पर हमारी निगेबाहं है आँखे,
सर पे कफ़न माथे पे तिलक त्यार हैं हम कमर बांधे।

हमने विश्व से आतंक ख़त्म करने का अहद लीया है,
अफगानों से पूछ हमने कया किया है ?
जहर नफरत का तू इन हरकतों से घोल सकता नहीं,
जीत सकता नहीं, बढ़ सकता नहीं हमें तोड़ सकता नहीं।
खावायिश तेरी लालकिले पे चाय पीने की,
अभी भुला नहीं तूशास्त्री के जय जवान के नारे की ।
मार को आज भी याद कर तूहमें लाहौर शांती की रेल भेजना आता है,
तू अगर पीठ पर छुरा घोंपे तो कारगिल भी करना आता है ।
आज आखिरी चेतावनी तू इससे मान ले,
छोड़ दे यह ओछी हरकते विनाश की तरक्की की डगर थाम ले

मत ले सब्र का इम्थान हमारा नहीं तो तू पछतायेगा,
कसम उस पाकपरवरदिगार की, हम उठ गए तो तुझे कौन बचायेगा।

जयपुर के भाईओं इस दुःख की घडी में मत घबराना,
पूरा देश तुम्हारे साथ है आतंकियों को है सबक सिखाना।।
Written by
"Dr.MITTAL SK"

Tuesday 17 June, 2008

Welcome ! SHOW YOUR TALENT AND SHARE YOUR THOUGHTS

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गौशाला-गाय गाँव -स्वालम्बन



गौशाला-गाय गाँव -स्वालम्बन

भारतीय संस्कृति में कृषि व गौपालन का अति उत्तम स्थान रहा है। एक दो नहीं लाखों करोड़ों गाँव वाले इस देश में दूध दही की नदियाँ बहती थी। हर परिवार की कन्या दुहिता यानी दुहने वाली कहलाई । ब्रह्म मुहूर्त में उठते ही गृहनीयाँ झूमती हुई दही बिलोती और माखन मिश्री खिलाती थीं व अन्न्दा सुखदा गौमाता के लिए भोजन से पहले गौग्रास निकालना धर्म का अंग था।

तेरहवी सदी में मक्रोपोलो ने लिखा की भारतवर्ष में बैल हाथिओं जैसे विशालकाय होते हैं, उनकी मेहनत से खेती होती है, व्यापारी उनकी पीठ पर फसल लाद कर व्यापार के लिए ले जाते हैं। पवित्र गौबर से आँगन लीपते हैं और उस शुद्ध स्थान पर बैठ कर प्रभु आराधना करते हैं। "कृषि गौरक्ष्य वाणीज्यम" के संगम ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूर्णता, स्थिरता, व्यापकता वः प्रतिष्ठा दी जिसके चलते भारत की खोज करते कोलंबस आया. व सं १४०२ में भारत से कल्पतरु (गन्ना) और कामधेनु (गाय) लेकर गया. माना जाता है की इनकी संतति से अमरीका इंग्लैंड डेनमार्क आस्ट्रेलिया न्युजीलैंड सहीत समस्त साझा बाज़ारके नौ देशों में गौधन बढा . वोह देश सम्पन्न हुए और सोने की चिडिया लुट गयी. अंग्रेजी सरकार ने फ़ुट डालने के लिए गौकशी का सहारा लिया और चरागाह सम्बन्धी नाना कर लगाये गाय बैलों को उनकी गौचर भूमि पर भी चरना कठिन कर दिया .

स्वतंत्रता संग्राम के सभी सेनानियों ने गौरक्षा के पक्ष में आवाज उठाई . आजादी की लड़ाई दो बैलों की जोडी ने लड़ी. उसके बाद में भी देश की बागडोर गाय और बछड़े ने संभाली. महत्मा गाँधी जी के शब्दों में " गौरक्षा का प्रश्न स्वराज्य से भी बड़ा " कहा गया. स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माताओं ने मूलभूत अधिकार ५१-a और निर्देशक सिधांत ४८-a में पृकृति को ऑउर्ण सुरक्षा व राज्य सरकारों को कृषि और पशुपालन को आदुनिक ढंग से संवर्द्धित व विशेषत: गाय बछड़े एवम दुधारू व खेती के लिए उपयोगी पशुओं की सुरक्षा का निर्देश दिया

आजका द्रश्य बिल्कुल विपरीत है।

अनुपयोगी पशुओं के नाम पर उपयोगी पशुओ का निर्मम यातायात व अवैधानिक कत्ल देश के हर कोने में हो रहा है । तात्कालिक लाभ के लिए देश की वास्तविक पूंजी को नष्ट किया जा रहा है । गाँव, नगर, जिला राज्य या देश की आवश्यकता ही नहीं, विदेशी गौमांस की जरूरतें मूक पशुओं की निर्मम हत्या कर पूरी की जा रही हैं. मुम्बई का देवनार आन्ध्र का अल कबीर या केरला का केम्पको यांत्रिक कसाई खानों का जाल प्रति वर्ष लाखों प्राणियों का संहार कर रहा है .

मांस का उत्पादन ही नहीं वरन विभिन्न यांत्रिक उपयोगों ने, रासायनिक खाद प्रयोगों ने ग्राम शहरीकरण व विदेशी चालचलन ने इन मूक प्राणियों को ग्रामीण विकास, अर्थव्यवस्था व रोजगार से दूर कर दिया है. आज रहट की जगह नलकूप, हल की जगह ट्रेक्टर, कोल्हू की जगह एक्सपेलर, बैलगाडी के स्थान पर टेंपो, उपलों की जगह गैस, प्राकृतिक खाद की जगह रासायनिक खाद आदि ले चुकी हैं। इस प्रदूषण और प्राणी हनन के परिणाम आज असहनीय हो चुके हैं. हमारा नित्य आहार रासायनिक हो विषयुक्त हो चूका है . कृषि की लागत कई गुना बढ़ चुकी है. गाँव में रोजगार के अवसर निरंतर घट रहे हैं. पर्यावरण दूषित हो रहा है. कीमती विदेशी मुद्रा खनिज तेल व रासायनिक खाद के आयात में बेदर्दी से खर्च हो रही है . कभी २ डालर(८५/-) प्रति बैरल का तेल आज १४० डालर (रु. ६,०००/-) बोला जा रहा है और जल्द २०० डालर ८,४००/- हो सकता है

स्त्री शक्ति पशु पालन का अभिन्न अंग है। मूक पशु के निर्मम संहार ने इसके उत्थान को रोक लगा दी है। आज जगह जगह अन्नदाता कृषक आत्महत्या करने पर मजबूर है ।

भारतवर्ष की लगभग ४८ करोड़ एकड़ कृषि योग्य भूमि तथा १५ करोड़ ८० लाख एकड़ बंजर भूमि के लिए ३४० करोड़ टन खाद की आवश्यकता आंकी गई है। जबकि अकेला पशुधन वर्ष में १०० करोड़ टन प्राकृतिक खाद देने में सक्षम है । उपरोक्त भूमि को जोतने के लिए ५ करोड़ बैल जोड़ीयों की आवश्यकता खेती, सिचाई, गुडाई परिवहन, भारवहन, के लिए है. इतनी पशु शक्ति आज भी हमारे देश में प्रभु कृपा से बची हुयी है. उपरोक्त कार्यों में इसका उपयोग कर के ही कृषि तथा ग्रामीण जीवन यापन की लागत को कम किया जा सकता है. प्राकृतिक खाद, गौमुत्र द्वारा निर्मित कीट नियंत्रक व औषधियों के प्रचलन और उपयोग से रसायनरहित पोष्टिक व नैसर्गिक आहार द्वारा मानव जाति को दिघ्र आयु कामना की जासकती है .देश की लगभग ५,००० छोटी बड़ी गौशालाओं के कंधे पर बड़ा दायित्व है. अहिंसा, प्राणी रक्षा तथा सेवा में रत्त यह संस्थाएं हमारी संस्कृति की धरोहर हैं जो विभिन्न अनुदानों व सामाजिक सहायता पर निर्भर चल रही हैं. अहिंसक समाज का अरबों रुपिया देश में इन गौशालाओं के संचालन पर प्राणी दया के लिए खर्च हो रहा है. समय की पुकार है की बची हुई पशु सम्पदा के निर्मम हनन को रोका जाये और पशु धन की आर्थिक उपयोगिता सिद्ध की जाये.

आमजन के मानस में मूक प्राणी के केवल दो उपयोग आते हैं. दूध व मांस यानी गौपालक गाय की उपयोगिता व कीमत उसकी दुग्ध क्षमता पर आंकता है और जब की कसाई उपलब्ध मांस हड्डी खून खाल आदि नापता है. गौपालक को प्रति प्राणी प्रति दिन रु.१५-२० खर्च ज्कारना होता है और येही २५०-३०० किलो की गाय या बैल लगभग २-३,००० में कसाई को मिल जाता है जब तक यह गाय दुधारू होती है गौपालक पालन करता है अन्यथा कसाई के हाथों में थमा देता है. पशु शक्ति, गोबर, गौमुत्र की आय या उपयोगिता का कई हिसाब ही नहीं लगाया जाता है. जो जानवर २-३,००० में ख़रीदा गया, २-३ दिनों में कत्ल कर रु.१००/- प्रति किलो २०० किलो गोमांस, चमडा रु.१,०००/- १५-२० किलो हड्डियाँ रु. २०/- प्रति किलो से और १२ लीटर खून दवाई उत्पादकों यो गैरकानूनी दारू बनाने वालों को बेच दिया जाता है. प्रति प्राणी औसतन २०-२५,००० का व्यापार हो जाता है. प्रति वर्ष अनुमानत: ७.५ करोड़ पशुधन का अन्तिम व्यापार रु. १८७५ अरब का आंका जासकता है . इस व्यापार पर कोई सरकारी कर या रूकावट नहीं देखने में आती है. गौशालाएं दान से और कसाई खाने विभिन्न नगरपालिकाओं द्वारा करदाताओं के पैसे से बना कर दिए जाते है।

कानून की धज्जियाँ उड़ते देखने को आइये आपको इस पूर्ण कार्य का भ्रमण कराते है.इस अपराध की शुरुआत सरकारी कृषि विपन्न मंडियों से होती देखी जासकती है. मंडीकर की चौरी के साथ में विपन्न धरो का साफ उलंघन यहाँ देखा जा सकता है. पशु चिकत्सा व पशु संवर्धन विभाग के अधिकारियो से हाथ मिला कर कानून के विपरीत पशु स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के अंदर, वहां नियंत्रक, नाका अधिकारियों को नमस्ते कर, पुलिस को क्षेत्रिय राजनीतिज्ञों की ताकत प्रयोग में ला कर मूक प्राणी एक गाँव से दुसरे गाँव, शहर, तालुक जिला तथा राज्य सीमा पार करा कसाईखाने तक पहुंचा दिए जाते है.. इन सरकारी या गैर कानूनी कसयिखानो पर भी माफियों का एकछत्र राज देखा जासकता है. स्वास्थ्य, क्रूरता निवारण, पशु वध निषेध आदि बिसीओं कानूनों की धज्जिँ उडाते हुए बिना किसी चिकित्सक निरक्षण के विभिन्न रोगों ग्रस्त मांस जनता की जानकारी के बिना परोसा जा रहा हैऐसी विषम स्तिथि में केन्द्र, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की और गौशालाओ की जवाबदारी असीम हो जाती है। प्रथमत: गौशालाएं जिनका भूतकाल में बीमार, अपंग, निश्हाय, वृद्ध, गोवंश का पालन करना होता था परन्तु इस समय गोवंश की उपयोगिता सिद्ध कर गौपालक को गौपालन में प्रेरित करना तथा विभिन गौजनित पदार्थों के अनुसंधान, निर्माण, प्रचार की जिम्मेदारी संभालना होगी. नयसर्गिकखाद , कीट नियंत्रक, समाधीखाद, सींगखाद, प्रसाधन सामग्री साबुन, धुप अगरबती, कीटनियंत्रककॉयल, फिनायल, दवाईयां, रंग रोगन, फर्शटाइल, ज्वलनगैस, तथा पशु शक्ति के जल निकासन, विद्युत उत्पादन, परिवहन व भारवाहन के साथ कृषि के विभिन्न आयामों में प्रयोग की प्रयोगशाला तथा शिक्षाशाला के रूप में कार्य करना होगा इन सभी आयामों का उपयोग कर गौशालाओं को आर्थिक स्वालंबन की और कदम गौपालक का भी सही मार्ग दर्शन कर सकेंगे. गौशालाएं अधिक से अधिक मूक प्रनिओं की सेवा कर सकेंगी. इन आदर्श गौशालाओं के मार्ग दर्शन में आसपास के क्षेत्रों में पशु आधारित उद्योगों की संरचना स्वरोजगार व कृषि लागत घटाने में मील का पत्थर साबित होगी.ग्रामीण स्वरोजगार आज देश की ज्वलंत आवश्यकता है। इसका एक साधन गौवंश आधारित उद्योग ही हो सकते हैं। ग्राम को इकाई मान, ग्राम की गोवंशसंख्या का अनुमान लगा गोवंश शक्ति का उपयोग पेयजल, विद्दुत, पिसाई, कृषि, परिवहन, भारवहन, तिलहन पेराई आदि में, गौबर गौमुत्र बायो गेस बनाने, खाद, नियंत्रक व विभिन्न उपरोक्त उद्योगों की स्थापना करना होगा। स्त्री शक्ति इस कार्य में रूचि लेकर गौमाता की रक्षा व अपने आत्मसम्मान का उत्कर्ष कर सकेगी। गोवंश नस्लसुधार कर गौपालक को अच्छी नस्ल के दुधारू पशु उपलब्ध करवाना भी आदर्श गौशाला का उद्देश्य रखना होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है की अगर गौशालाएं यह सभी कार्य हाथ में लें और राजकीय तंत्र सहायक योजनाओं का निर्माण व संचालन करे, भारतीय संविधान की भावना, विभिन्न विधि विधान पालन का निर्धारण करे तो गौवंशशक्ति उपयोग तथा गोमय उत्पादन से स्त्रीशक्ति, युवाशक्ति व गौवंश की रक्षा हो सकेगी।

डॉ .श्रीकृष्ण मित्तल

B.com (Hons) LLM,

PHDसदस्य: इनचार्ज:कर्णाटक केरल संभागीय

समितिभारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड(२००७)

वन तथा पर्यावरण मंत्रालय , भारत सरकार

सदस्य : केरल राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड केरल सरकार

उपाध्यक्ष: प्राणी दया संघ मैसूर (अस पी सी ऐ)

अध्यक्ष :अखिल कर्णाटक गौरक्षा संघ (प)


BY

"Dr.MITTAL SK"

Monday 16 June, 2008

गोवंश का प्रभाव





बीजेपी हो या कांग्रेस या दल हो या बीएसपी

यहाँ तो सभी से दोस्ती और यारी है


हम झंडा गोवंश विकास का ले कर निकले है

आई देश में नयी क्रांति की बारी है


गोवंश किसी राजनीति के नहीं मोहताज हैं

उल्टा राजनीति गौवंश की कर्जदार है


देश की आज़ादी दो बैलों ने दिलवाई थी

इंदिरा जी की नैया गाय बछड़े ने पार लगायी थी


जब से हाथ इसे दिखाया है

देख लो कैसा समय पाया है


आज फिर इन्हें उस ही ऊँचाई पर ले जाना है

फिर से दुग्ध क्रांति गोबर बिजली,खाद और बैल शक्ति अजमाना है


आने वाला समय बड़ा जालिम दिखता है

रोज पेट्रोल के दाम बढ़ाना किसे अच्छा लगता है


वैकल्पिक उर्जा के साधन निकालने होंगे

पशु शक्ति, गोमय उत्पादन काम में लाने होंगे


नहीं तो


.देश की आर्थिक स्तिथि बिगड़ती रहेगी

विदेशी मुद्रा लगती रहेगी


मानव सेहत नकली दूध,और अन्न से बिगड़ती रहेगी

कृषि सस्ती होगी नहीं किसान की आत्महत्या चलती रहेगी


गोवंश ग्राम, स्त्रीशक्ति, कृषि, ग्राम रोजगार का आधार है

करुणा दया अहिंसा कसाई से रक्षा की कर रहा पुकार है


नींद आती नहीं चैन पड़ता नहीं,कसम गौमाता की हम रुकेंगे जब तक नहीं

जब तक गौमाता के वध का कलंक हमारे माथे से हटेगा नहीं


WRITTEN BY
Dr. SK Mittal
awbikk@gmail.com

आपको यह कविता कैसे लगी ? अवश्य लिखें।
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Sunday 15 June, 2008

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HARSHIT GUPTA

SMS


Biwi ka antim sanskar kar ek aadmi ghar ja raha tha.

Achanak..... Bijli chamki tufan Aaya aur barish Hui,

Dukhi Aadmi bola "Lagta Hai Pahuch Gayi."

~~~~~~~~~

Paani mein Whiskey milao at nasha chadta hai।

Paani mein Rum milao to nasha chadta hai।

Paani mein Brandy milao to nasha chadta hai.

Saala paani mein hi kuch gadbad hai.


पितृदिवस पर एक प्रण




पितृदिवस पर एक प्रण



पिताश्री इस पितृदिवस के पावन अवसर पे नमन करता हूँ


स्मरण अपना बचपन और आपका कन्धा आज भी करता हूँ॥



एक दिन दादी ने मुझे बतलाया था


कितने मंदिर तीर्थ घुमे तो मुझे पाया था॥



मेरे जन्म पर आपने पूरे गाँव में बधाई बाटी थी


खुशिओं की सौगात और मिठाई भी बाटी थी॥



मेरे स्कूल जाने पर कितनी बलैयां ले डाली थी


पास होकर आने पे कितनी शाबाशीयां दे डाली थी॥



माँ मेरी शरारतों से थक तुम्हारा इंतज़ार करती थी


तुम्हारे नाम को ले ले मुझे डराया करती थी ॥



तुम उनको सुन अनसुना करते थे


राजा बेटा अच्छा बेटा कह मुझे समझाया करते थे॥



याद आता है मेरा साइकल से गिर जाना


मेरी चोट देख जैसे तुम्हारी जान निकल जाना॥



सर्दी गर्मी धुप छाओं से मुझे बचाया करते थे


मेरे हर सवाल का जवाब हर मुश्किल सुलझाया करते थे॥



जिन्दगी के हर मोड़ पर मैं ने आपको पाया था


मेरे 'प्यार' को ठुकरा के भी फिर दोनों को अपनाया था॥



कितनी ही बार आप भी झुंझलाते थे


बाप बनुगा तो पता चलेगा कह थक जाते थे॥



आज जब मैं भी जवान बेटे का बाप बना हूँ


आपके कदम के निसानो पे खडा हूँ ॥



आपके पोते से मैं भी रूठ जाता हूँ


बेटा बाप बनोगे तो याद करोगे बोल जाता हूँ ॥



दादा जैसा बनो उन्हें स्मरण करो उसे याद दिलाता हूँ


अपने जवाब - उसके मुख से सुन शर्माता- पछताता हूँ ॥



बाप बेटे के सवाल का सो बार जवाब देता है


बेटा बाप के एक सवाल दुबारा आने पर सनकी, बुढा बोल देता है ॥



पितृपक्ष पर सुबह तर्पण करता है श्राद्ध करता ब्रह्म भोज करता है


उसही आदरणीय के अधूरे कामो से मुख मोड़ लेता है ॥



मैंने भी एक प्रण किया था इस जिन्दगी का


अच्छा बेटा बन आपके स्वप्न पूरे करने का ॥



लेकिन क्या मैं आपकी आकांक्षा पूरी कर सका हूँ


आज जिस मुकाम पर हूँ क्या आपकी ऊंचाई तक पहुँच सका हूँ ?



अगर कोई ख़ता हुई हो तो मुझे माफ़ करना


मेरा प्रण है आपकी भावना और इच्छा पूर्ण करना ॥



आज इस पितृदिवस मैं नमन करता पुष्प चढाता हूँ


आशीर्वाद की कामना और श्रद्धा का विश्वास दिलाता हूँ ॥



WRITTEN BY


Dr. SK Mittal


awbikk@gmail.com

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Wednesday 11 June, 2008

SMS

SMS-

MAFI NAMA:

Agar

Meri

Raat

Ko

Msgs

Bhejne

Ki

Aadat

Se

Aap

Pareshan

Hai

to

Aap

Apna

Mobile

Toilet

me

fek

dena

NA RAHEGA BAS NA BAJEGI BASURI.....................

WRITTEN BY

from funlok

HARSHIT GUPTA

Marwari Samaj देखो ! हम कितने सभ्य हो चुके हैं।




देख....मानवीय सभ्यता का यह दौर!


जहाँ शिक्षित हो इंसान,


शोषण कर रहा इंसानों को,


सभ्यता का दे नाम।



देख ....मानवीय सभ्यता का यह दौर!


जहाँ असभ्य बनता जा रहा इंसान,


नंग-धड़ंग हो नाच रहा है,


सभ्यता का दे नाम



देख ....मानवीय सभ्यता का यह दौर!


शहर के रहने वाले;


गांवों की तुलना में,


कहिं ज्यादा दिखते हैं परेशान।


रिश्ते- नाते सबके सब हो चुके हैं


एक दूसरे के हैवान।


किसीको कुछ भी पता नहीं।


कौनकिसको कब 'खा' जायेगा,


सभ्यता का दे नाम।



देख....मानवीय सभ्यता का यह दौर!


हम सभ्य हो चुकें हैं इतना कि......


खुद के बच्चे हम से बिछुड़ते जा रहे,


बुढ़े माँ-बाप खोज रहें हैं एक आशियाना।


पत्नी बात नहीं कर पा रही।


देखो!! कितने सभ्य हो चुके हैं हम।


हमारी वेशर्मियत कई ह्दों को पार करती जा रही ।


एक-दूसरे के इज्जत के प्यासे हो चुके हम।


फिर भी चुपचाप सहते सब जा रहे हैं।


देखो !! हम इतने सभ्य हो चुके हैं,


कि सभ्यता भी हमसे शर्माने लगी


सभ्यता का दे नाम।





--- 2 ---





मानवीय संवेदना का एक पलकितना भयानक हो चला है।



माँ-बाप, भाई-बहन, पति-पत्नी,



ये तो हो चुके पुराने,



सबके सब तलाश रहें।



आज एक नये रिश्ते।



WRITTEN BY


-शम्भु चौधरी, एफ.डी. - 453/2, साल्टलेक सिटी, कोलकाता -

samajvikas@gmail.com